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लेखनी प्रतियोगिता -21-Jun-2022 नन्द भाभी

शीर्षक  = नन्द भाभी  




"विनीता  ओ विनीता कहा  हो तुम, मैं तुम्हे कब  से ढूंढ  रही  हूँ " सुनीता ने अपनी देवरानी को आवाज़  देते हुए  कहा और रसोई  में घुस  गयी  तो देखा  विनीता  रसोई  में खड़ी प्याज़ काट रही  थी ।


सुनीता उसके पास गयी  और बोली " तुम यहाँ पर  हो और मैं तुम्हे बाहर  देख  रही  थी , क्या हुआ मम्मी जी से बात हुयी उन्होंने इज़ाज़त  दे दी मायके जाने की होली पर  "

विनीता जो की प्याज़ काट रही  थी  हलकी  आवाज़  में बोली " नही उन्होंने मना  कर  दिया और कहा तुम्हारी नन्द आ  रही  है  इसलिए  तुम दोनों मायके नही जाना जब  वो चली जाए तब  जाना "

उसकी आवाज़  सुन सुनीता समझ  गयी  की वो रो रही  है  और अपने आंसू  छिपाने की वजह  से प्याज़ काट रही  है  वो बोली " विनीता  तुम रो रही  हो जाओ जाकर कमरे  में आराम  कर  लो रसोई में देख  लूंगी  "

अपनी जेठानी  के मुँह से इस तरह सुन वो अपने आंसू रोक ना सकी  और उसके गले  लग  कर  रोने लगी  और बोली " दीदी आपको भी  तो मना किया है  मम्मी जी ने मायके जाने से, तो फिर  आप  उदास नही हो "

"नही विनीता  मैं उदास नही हूँ " सुनीता ने कहा

"मैं अभी अपनी मम्मी को फ़ोन  करके  कहूँगी  की भाभी को भी  अपने मायके ना जाने दे होली पर, जब  मैं अपने मायके नही जाउंगी तो फिर  उन्हें भी  मायके जाने की कोई जरूरत  नही  और दीदी आप  भी  अपनी मम्मी को फ़ोन  करके  कहे  की वो भी  अपनी बहु  को मायके तब  तक  ना भेजे  जब  तक  आप  अपने मायके ना चली  जाओ " विनीता  ने कहा गुस्से में और अपने फ़ोन  पर  नंबर  लगाने  लगी ।


सुनीता ने तुरंत  उसके हाथ से मोबाइल लिया और कहा " विनीता  ये ठीक नही ना तो तुम कुछ  ऐसा करोगी  और ना मैं, मैं तो कर  ही नही सकती  क्यूंकि मेरी अभी मम्मी से बात हुयी थी  वो कह  रही  थी  की भाभी  अपने मायके चली  गयी  होली करने  "

"वाह दीदी आपकी मम्मी तो बड़ी  सीधी  है , उन्होंने तो एक दिन पहले  ही अपनी बहु  को मायके भेज  दिया और एक हम  है होली पर  भी  जाने की इज़ाज़त  नही मिली " विनीता  ने कहा

"विनीता  देखो  वो उसकी किस्मत है  और ये हमारी किस्मत है । अब अगर हमारी  सास हम  पर  जुल्म कर  रही  है  तो इसका मतलब  ये तो नही की हम  अपनी भाभी  पर  जुल्म करे  वो भी  इसलिए  क्यूंकि हमारी  सास और नन्द हम  पर  जुल्म करती  है । विनीता  मेरी बहन  इस तरह  तो ये लड़ाई  कभी  ख़त्म  ही नही होगी इस तरह तो औरत  ही औरत  का घर  बर्बाद कर  देगी सास बहु  का घर  ख़राब  कर  देगी क्यूंकि उसकी सास ने उसका घर  ख़राब  किया था ।

और नन्द अपनी भाभी  का और वो भाभी  अपनी भाभी  का घर  बर्बाद कर  देगी क्यूंकि उसकी नन्द उसे परेशान  करती है  इसलिए  वो नन्द बन  कर अपनी भाभी  को परेशान  करेगी । इस तरह तो मेरी बहन  सब  औरते  एक दूसरे  की ही दुश्मन बन  जाएंगी।


अगर हमारी  सास ने हमें मायके नही भेजा  तो क्या हम  इस बात का बदला  अपनी अपनी भाभी  से ले। जबकी  उसकी कोई गलती  नही।


अगर हमारी  सास बुरी है, हमें बहु  नही नौकरानी समझती है  तो क्या हम  अपनी माओ से भी  यही  जुल्म करने  को कहे , ये तो अच्छी बात नही है  हम  लोग पढ़े  लिखें समाज  में रे रहे  है  अगर हम  लोग ही औरत  के दुश्मन  बन  जाएंगे तो फिर  औरत  किस पर  यकीन  करेगी ।


मर्द तो पहले  ही बदनाम  है  क्यूंकि वो कभी  कभार भरोसे  का गलत  फायदा उठा  लेते है और ऐसे में अगर औरत  भी  औरत  का घर  बर्बाद करने  पर  आ  जाए तो हर  घर  आखाडा  बन  जाएगा। इसलिए  मेरी बहन  जैसा मम्मी जी ने कहा है  वैसा ही करते  है । होली के बाद मायके चले  जाएंगे यू इस तरह  अपना गुस्सा अपनी भाभी  पर  उतार कर  नन्द और भाभी  के रिश्ते को बदनाम  होने से बचा  लेंगे।" सुनीता ने कहा समझाते  हुए 


सही  कहा दीदी वो बेचारी  भी  हमारी  तरह  कितने सपने  लेकर आयी  होगी हमारे  मायके की सब  उसका कितना ख्याल  रखेंगे  और अगर हम  अपनी ससुराल  वालो की तरह  उसे भी  वही  सब  कुछ  करेंगे  तो ज़ाहिर है  कि वो भी  वही  सब  कुछ  अपनी भाभी  के साथ  करना  चाहेगी  जो हम  उसके साथ  करेंगे । भाभी  आपने  मुझे  बचा  लिया इस गुनाह से आपका  बहुत  धन्यवाद । मैं मम्मी को कॉल  नही करूंगी  अगर करूंगी तो कह  दूँगी  की भाभी  को मायके भेज  देना मैं होली के बाद आउंगी  शायद  इस पहल  से कुछ  सुधार आ  जाए औरत  की जिंदगी में।


सुनीता कुछ  कहती  तभी  बाहर  से एक आवाज़  आती  " सुधार  आएगा  नही सुधार  लाना पड़ेगा  "

उन दोनों ने बाहर  देखा  तो दरवाज़े  पर  उनकी सास खड़ी थी  जिसे देख  वो दोनों घबरा  गयी  और सर  पर  पल्लू रखते  हुए  बोली " मम्मी जी आप  कब  आयी  हमें माफ कर  देना हमारा  वो मतलब  नही था  "

उनकी सास उनके पास  आयी  और बोली "  सही  मतलब  तो अब जाकर मेरी समझ में आया , सुनीता तुमने क्या खूब कहा, तुम सही  कह  रही  हो औरत  ही औरत  की दुश्मन  होती है ।

जैसे मैं तुम्हारे साथ  कर  रही  थी  वो भी  इसलिए क्यूंकि मेरे साथ  भी  वैसा ही क्या गया  था । मुझे  भी  मेरी सास और नन्द तीज  त्यौहार पर  मायके जाने से रोक लेती थी ।

जिसका गुस्सा मैं अपनी भाभियों पर  निकाल लेती और अब तुम दोनों पर । लेकिन आज  मुझे  समझ  आ  गयी  कि हम  औरतों ने मिलकर  कितनी औरतों के घर  तबह  कर  दिए  कभी जलन में, कभी  हसद  में तो कभी  अपने ससुराल  वालो के जुल्म कि सजा  अपनी बहु  और भाभियों को देकर। लेकिन अब ऐसा नही होगा तुम दोनों भी  आज  और अभी  अपने मायके जा रही  हो क्यूंकि अब मेरी बेटी मायके आ  रही  है  जिस तरह  मुझे  उसके आने  का इंतज़ार  रहता  है  तीज  त्यौहार पर उसी तरह  तुम्हारी माँ को भी  रहता  होगा तुम्हे देखने  का इंतज़ार ।


अब तुम दोनों जाओ अपने मायके होली मनाओ  और फिर  आ  जाना इस घर  की बेटी बन  कर । मैं भी  अपने मायके जाती लेकिन अब मेरा मायका माँ पिता जी के जाने के बाद बिखर  गया  इसलिए  मैं यही  अपनी बेटी के साथ  होली मनाउंगी ।


अपनी सास के मुँह से इस तरह सुन उन दोनों ने आँखों में आंसू  लेकर  उन्हें गले  लगा  लिया और आशीर्वाद  लेकर अपने अपने कमरे  में चली  गयी ।

उनकी सास रसोई  में खड़ी  उन्हें खुश  देख  मुस्कुरा रही  थी  और अपने आप  से बोली " आज  मन बहुत  हल्का लग  रहा  है  मानो कोई दिल पर लगा  बदले का मेल उतर गया  हो, आज  महसूस  हुआ की दोनों बहुओ ने दिल से आशीर्वाद  लिया और दिल से गले  लगाया  "



प्रतियोगिता हेतु लिखी  कहानी  

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8 Comments

Punam verma

22-Jun-2022 09:54 PM

Nice

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Seema Priyadarshini sahay

22-Jun-2022 10:50 AM

शानदार, बेहतरीन लेखन👌👌

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Dr. Arpita Agrawal

22-Jun-2022 09:19 AM

बहुत सुंदर, काश हर सास बहू को बेटी मान ले तो बेटियों के लिए भी मैके और ससुराल में कोई फर्क न रह जाए 👌👌👌👌

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